Bhagwan Surya ke 21 naam -eka vimsati namavali of Surya
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Bhagwan Surya ke 21 naam -eka vimsati namavali of Surya
यहाँ पढ़े भगवान् सूर्य देवता के 21 नाम (एका विंशति नामावली) की महिमा। सबसे पहले भगवान् सूर्य देवता को हमारा नमस्कार।
भगवान् सूर्य देव आप सबसे परे हैं, परमेश्वर हैं और त्रिलोकी का अंधकार नष्ट करने वाले हैं , आपको नमस्कार हैं। सूर्य देव आरोग्य के देवता भी हैं।
सूर्य देवता की नित्य आराधना करने से सम्पूर्ण रोगो का नाश होता हैं और बुद्धि तेजस्वी होती है।
देवताओ में सूर्य देव प्रत्यक्ष देवता हैं, जिनका आधिभौतिक रूप हम अपनी आँखों से देख सकते हैं। इसलिए सूर्य देवता की पूजा और आराधना का हमारे जीवन में बहुत ही विशेष महत्त्व है।
निचे भगवान् सूर्य के 21 नाम का विवरण हैं जिसके एक बार पढ़ने पर भगवान् सूर्य के एक हज़ार नाम बोलने का पुण्य प्राप्त होता है।
श्लोक इस प्रकार हैं :
ॐ विकर्तनो विवस्वांश्च मार्तण्डो भास्करो रविः ।
लोकप्रकाशकः श्रीमान् लोकचक्षुर्महेश्वरः ।।
लोकसाक्षी त्रिलोकेशः कर्ता हर्ता तमिस्रहा।
तपनस्तापनश्चैव शुचिः सप्ताश्ववाहनः ।।
गभस्तिहस्तो ब्रह्मा च सर्वदेवनमस्कृतः ।
इस श्लोक हैं जिन्होंने एक बार २१ नाम सूर्य के पढ़ लिए वह सहस्र सूर्य नाम-जप के समान फलदायी माना गया है। ये ढाई श्लोक किसी स्तोत्र से कम नहीं है। इन सूर्य देवता के 21 नाम दोनों सन्धायों में इसे पढ़ना चाहिए ।
Bhagwan Surya ke 21 naam -eka vimsati namavali of Suryaभगवान् सूर्य के 21 नाम – एका विंशति नामावली
1) विकर्तन ~ Vikartana – The one who destroys all dangers
2) विवस्वान ~ Vivaswana – Luminescent
3) मार्तण्ड ~ Martanda – The one who has emerged from the golden egg
4) भास्कर ~ Bhaskara -The enlightening one
5) रवि ~ Ravi -The one who roars
6) लोकप्रकाशक ~ Lokaprakashaka- The illuminator of the worlds
7) श्रीमान ~ Shrimana
8) लोक चक्षु ~ Loka Chakshu – Eye of the world
9) ग्रहेश्वर ~ Graheshwara- The lord of all the planets
10) लोक साक्षी ~ Loka Sakshi- Witness of the world
11) त्रिलोकेश ~ Trilokesha- The lord of the three worlds
12) कर्ता ~ Karta- The executor
13) हर्ता ~ Harta – The destroyer
14) तमिस्रहा ~ Tamisraha – The remover of darkness
15) तपन ~ Tapan – The one who heats up
16) तापन ~ Tapana – The one who burns
17) शुचि ~ Shuchi – The one who is pure
18) सप्ताश्ववाहन ~ Saptashvavahana – Whose chariot is drawn by seven horses
19) गभस्तिहस्त ~ Gabhastihasta – Whose hands are rays alike
20) ब्रह्मा ~ Brahma – The creator of the world
21) सर्वदेवनमस्कृत ~ Sarvadevanamaskrita – Worshipped by all the gods
॥इति श्री सूर्य एकविंशतिनामावलिः सम्पूर्णा॥
21 नाम सूर्य के जाप करने से मनुष्य को यश, वैभव , धन की वृद्धि होती है और सम्पूर्ण रोगो का नाश होता हैं
भगवान् सूर्य की महिमा
भगवान् सूर्य प्रत्यक्ष देवता हैं । तत्त्वतः तो वे परब्रह्म हैं। वे स्थावर-जङ्गमात्मक समस्त विश्वकी आत्मा हैं। सूर्योपनिषद् (१। ४) के अनुसार सूर्यसे ही सम्पूर्ण प्राणियोंकी उत्पत्ति होती है, पालन होता है एवं उन्हींमें विलय होता है। उनके उपासक साधकको स्वयं भी सूर्यमें ब्रह्मात्मभावना करनेका निर्देश दिया गया है ‘यः सूर्योऽहमेव च।’ भगवान् आद्यशंकराचार्यद्वारा प्रवर्तित पञ्चायतनोपासनामें वे अन्यतम उपास्य हैं। उनकी उपासनाका विधान वेदोंमें तो है ही, उनके अतिरिक्त सूर्योपनिषद्, चाक्षुषोपनिषद्, अक्ष्युपनिषदादि उपनिषदें स्वतन्त्ररूपसे सूर्योपासनाका ही विधान करती हैं।
सूर्य समस्त नेत्र-रोगको (तथा अन्य सभी रोगोंको) ही दूर करनेवाले देवता हैं— ‘न तस्याक्षिरोगो भवति’ एवं (अक्ष्युपनिषद्) । ‘आरोग्यं भास्करादिच्छेत्’
भगवान् सूर्य सबका श्रेय करें।
सूर्य देव की स्तुति के महिमा
पृथ्वीसे भी अत्यधिक उपकारक भगवान् सूर्य हैं। अतः हमारे पूर्वज ऋषि-महर्षियोंने श्रद्धा-विभोर होकर सूर्यदेवकी स्तुति प्रार्थना और उपासनाके सैकड़ों सुन्दर मन्त्रोंकी उद्भावना की है। उनके प्रशंसनीय प्रयासका दिग्दर्शन कराया जा रहा है।
वैदिक ऋषियोंका ध्यान भगवान् सूर्यके निम्नलिखित मन गुणोंकी ओर विशेषरूपसे गया है-
1) अन्धकारका दो नाश
2) राक्षसोंका नाश
3) दुःखों और रोगोंका ना नाश
4) नेत्र-ज्योतिकी वृद्धि
5) चराचरकी
6) आत्मा
7) आयुकी वृद्धि
8) लोकोंका धारण।
Vineet Sakhuja awarded as Best Tarot Card Reader & Astrologer by Bipasha Basu
Vineet Sakhuja awarded as Best Tarot Card Reader in Delhi By Mandira Bedi
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